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भगत सिंह

भगत सिंह फिर से जिंदा हो उठा है। गली मुहल्लों मी सुना जाने लगा है उसका नाम, शहरों की दीवारों पर लगे पोस्टरों पर, नजर आते हैं भगत सिंह के वेश में, सनी, अजय देवगन और आमिर खान; और जलसों मी उसके नाम से, फिर से उठने लगे है नारे । अखबारों को मिला है बहुत दिनों के बाद, एक राष्ट्रीय मुद्दा और अपने आप को भगत सिंह से जोड़ती हुई, राजनीतिक पार्टियाँ, मौजूदा सरकार की चूलें हिलाने की बात करती हैं। पर इन सबसे परे भी, एक भगत सिंह जिंदा हो उठा है- खस्ताहाल टिन- शेड स्कूल के बच्चों में, भगत सिंह फिर आ गया है, खेतों- खलिहानों, मुरझाई फसलों और फटेहाल किसानों के बीच। भगत सिंह के बमों के धमाके गूंजने लगे हैं, भ्रष्ट नेताओं के साऊँड-प्रूफ़ चैम्बर्स में;. औंर जाग रहा है- सड़्क पर चलता हर आम आदमी दूसरे को, भगत सिंह के नाम का बिगुल बजाता हुआ- अयोध्या के मंदिर- मस्जिद से आगे, युद्ध की रणनीतियों से परे, और डब्ल्यूटीओ के लुभावने इश्तहारों को रौंदता हुआ, भगत सिंह सचमुच जिंदा हो उठा है........!!