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गुजर गया जो वक्त

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एक दिन मन में आया  किसी बिछड़े हुए को याद किया जाए  फिर बैठ के फुर्सत से कहीं चाय पी जाए  पास से परखा जाए वक्त की राख के नीचे दबे उन नर्म एहसासों को  गुजर गया जो सुकून उसे फिर से जिया जाए   दिमाग़ ने कहा मत करो बेवकूफी फिर से दिमाग़ ने कहा मत करो बेवकूफी फिर से  गुजरे हुए को लौटना फिर से घावों को कुरेदना है सिलसिले टूटने की वजह अभी खत्म कहां हुई है क्यों फिर आंसुओं के सैलाब लिए जाएं मग़र दिल तो दिल है दिल कहा सुनता है दिमाग़ की बातें लगाया फोन बुला भेजा हमने पुराने वक्त को फिर से पुराना वक्त आया उसी अकड़ में ऐंठे हुए  गोया फिर से उसकी जरूरत है किसी को शायद अब भी उसकी दर्द देने की फितरत नहीं समझ पाया है कोई शायद अब भी नचा सकता है वो आज को कल की तरह  बहुत हैरान हुआ मगर अतीत अपने बढ़े कदम के साथ कहीं दिखी नहीं वो खरोचें  सामने था एक वीतराग।  शून्य में हताश हो दौड़ा अतीत फिर से कहीं तो होंगे निशान उसके द्वारा क्षत विक्षत किए एहसासों के चिल्लाया जोर जोर से वो बेवफ़ाई का फरेब लिए  वर्तमान रौंद कर उसकी फितरत अकेला आगे बढ़ गया है।