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रूहानी इश्क़

 ये अजीब इत्तफाक था  सैंकड़ों ओर हजारों की भीड़ में  अलग अलग शहर में रहते हुए वे कभी नहीं मिले बिना देखे हुए एक दूसरे की कल्पना करते हुए  उनकी रूहें इस कदर तड़पती रहीं शब्दों का सैलाब उमड़ता रहा कैनवास पर स्लेट पर खींची गई जख्मी लकीरें ओर रोए जार जार होकर विरह यक्ष ओर यक्षणी  उनकी कहानियां सदियों तक दोहराई गई लोग पढ़ते रहे और चकित होते रहे मगर वो कभी नहीं मिले रूहानी इश्क़ का अंज़ाम अगर इतना दर्द दे  तो वाकई वो इश्क मौत से भी ज्यादा खूबसूरत है 

aaine me dekhna hai tumhe

 तुम्हारी नाराजगी अब अच्छी नहीं लग रही न तुम्हारा लापता होना अगर तुम सच में मेरी जिंदगी हो मेरी हर यात्रा का आखिरी पड़ाव  ओर वो मुकम्मल जहां  जिसके लिए ये शब्दों का भटकना शुरू हुआ  तुम्हे अब सामने आ जाना चाहिए जिंदगी बिल्कुल अपने सारी परछाइयों के साथ ये धुंधला सा अक्स अब आईने में साथ हो तो अच्छा हो वरना न हो तो अच्छा@gunjanpriya.blogspot.com