रूहानी इश्क़
ये अजीब इत्तफाक था
सैंकड़ों ओर हजारों की भीड़ में
अलग अलग शहर में रहते हुए वे कभी नहीं मिले
बिना देखे हुए एक दूसरे की कल्पना करते हुए
उनकी रूहें इस कदर तड़पती रहीं
शब्दों का सैलाब उमड़ता रहा कैनवास पर
स्लेट पर खींची गई जख्मी लकीरें
ओर रोए जार जार होकर विरह यक्ष ओर यक्षणी
उनकी कहानियां सदियों तक दोहराई गई
लोग पढ़ते रहे और चकित होते रहे
मगर वो कभी नहीं मिले
रूहानी इश्क़ का अंज़ाम अगर इतना दर्द दे
तो वाकई वो इश्क मौत से भी ज्यादा खूबसूरत है
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