Posts

रूहानी इश्क़

 ये अजीब इत्तफाक था  सैंकड़ों ओर हजारों की भीड़ में  अलग अलग शहर में रहते हुए वे कभी नहीं मिले बिना देखे हुए एक दूसरे की कल्पना करते हुए  उनकी रूहें इस कदर तड़पती रहीं शब्दों का सैलाब उमड़ता रहा कैनवास पर स्लेट पर खींची गई जख्मी लकीरें ओर रोए जार जार होकर विरह यक्ष ओर यक्षणी  उनकी कहानियां सदियों तक दोहराई गई लोग पढ़ते रहे और चकित होते रहे मगर वो कभी नहीं मिले रूहानी इश्क़ का अंज़ाम अगर इतना दर्द दे  तो वाकई वो इश्क मौत से भी ज्यादा खूबसूरत है 

aaine me dekhna hai tumhe

 तुम्हारी नाराजगी अब अच्छी नहीं लग रही न तुम्हारा लापता होना अगर तुम सच में मेरी जिंदगी हो मेरी हर यात्रा का आखिरी पड़ाव  ओर वो मुकम्मल जहां  जिसके लिए ये शब्दों का भटकना शुरू हुआ  तुम्हे अब सामने आ जाना चाहिए जिंदगी बिल्कुल अपने सारी परछाइयों के साथ ये धुंधला सा अक्स अब आईने में साथ हो तो अच्छा हो वरना न हो तो अच्छा@gunjanpriya.blogspot.com  

sukhe huye gulab

Image
सुना है पूरी दुनिया भटक कर अब तुम अपने शहर जा रहे ये भी अच्छा है वैसे वापस लौटना  बहुत मुश्किल होता है ज्यादातर लोगों के लिए जड़ से उखड़े गमले में रोप हुए पौधे  कहां आ पाते हैं वैसे नहीं आ पाती हैं मायके  ज्यादातर ससुराल बसी लड़कियां  किचेन में चुपचाप सांस रोके,  बर्तनों को बार बार धोने के बहाने आंसू रोकती लड़कियां तुम्हारी बाड़ी में भी तो हैं कई पेड़ पौधे  ओर गमले में लगे सूखे गुलाब हां तुम समझते नहीं गमले में लगे सूखे गुलाबों का दर्द इस बार एक नया पौधा लेते जाना तुम भी गुलाब का ओर फिर पूरी जिंदगी शिकायत करते रहना  गुलाबों के कांटों, नखरों ओर सूख जाने के @gunjanpriya.blogspot.com

aa gaya basant

आ गया बसंत भूला शिशिर का आघात हर पेड़ खड़ा है लेकर नए पल्लव पात  रास्तों में बिछी है पुराने पत्तों की चांदनी  लाल है पलाश ओर शिमुल की बांधनी  सुबह की अरुणिमा से होड़ करते गुलमोहर  चाक  चाक हो उठा बीते मौसम का पतझड़  बदल गई है कोयल की कूक ओर पपीहे का संगीत  बदल गए इस बसंत मन के भी मीत  @gunjanpriya.blogspot.com

purush ko stri kab tak achi lagti hai

Image
पुरुष को स्त्री तबतक अच्छी लगती है  जबतक वो रूप का सागर बनी रहे हाथों में रसोई ओर गोद में बच्चे लिए रहे  सदियों से तलवार लेकर खड़ा पुरुष गलत लक्ष्मणरेखाएं खींचता आया है स्त्रियों के लिए ओर इसलिए उस दिन वही स्त्री अप्रिय हो जाती है जब हाथ में कलम ले उसके समकक्ष खड़ी हो जाती है और बताती है कि उसके जीवन की परिभाषाएं वो खुद लिख सकती है 

samajhdar aurten

Image
इस बार भी  कोई अलग नहीं था उसका पूछना  मै आ जाऊ  और फिर हां कहने पर  अपनी व्यस्तता दिखाना  ओर कहना फुर्सत तो नहीं पर आके निकल जाऊंगा...  जैसे उसके आने तक पृथ्वी घूमना बंद कर देगी हवाएं अपना रुख मोड लेंगी और  मेरी जिंदगी  जिसे मैने गलती से फिर से सम्हालने की  कोशिश कर ली हो  फिर से एक आहट पर सुनामी बन जाएगी