मैं जिन्दा रहूंगी फिर भी
मैं जिन्दा रहूंगी फिर भी माना की हार ही होती रही है मेरी हर लड़ाई में मगर हारते हुए भी लड़ने में एक उम्मीद रह जाती है बाकी मेरे सपने उन जुगनुओ की तरह है जिनकी रौशनी बुझ जाती है सूरज की तपिश में फिर भी अंधेरो में वे टिमटिमाकर देंगे साथ मेरा मैं बन गयी हु अपने बड़े सपनो और छोटी मंजिलो का मजाक मुझे मालूम है मैं जब भी ख्वाब बुनती हूँ बिना जमीन के लोग हँसते होते है मेरे बचकानी जिदो पर मगर मेरी वजूद को यकीं दिलाती है वही हसरते और मै जिन्दा रहना चाहती हूँ उन्ही सपनो, टिमटिमाते जुगनुओं और बचकानी हसरतो के साथ जो मेरे जिन्दा रहने का सबूत हैं..