Jan 20, 2012

बस हम ठहर जाते हैं..

वक़्त ठहरता नहीं..मगर हम ठहर जाते हैं कभी कभी
जबकि मालूम है उस वक़्त भी
सब कुछ सरक रहा होता है है धीरे धीरे
ये रिश्तो के तकाज़े, ये उम्मीदों की टूटन..
ये सपने जो हमें ठहरने नहीं देते कभी..
सब चुक जाते है कभी कभी
जब हम ठहर जाते हैं..

उस वक़्त भी दिल रोता है इस नाउम्मीदी पे
 कि जिन्दगी रुकी सी क्यों है
उस वक़्त भी ख्वाहिशे कहती हैं आगे बढ़ जा
उस वक़्त भी हम भागते हैं ख्यालों  के सहारे
जब हम ठहर जाते हैं..

वक़्त दरिया है रुकने कहाँ देता है
ख़ुशी और गम क़ी उछालें हैं इन लहरों में
कोई फर्क नहीं पड़ता
हम डूबे हों या पहुंचे अपने किनारों पे
आखिरी वक़्त भी भवर होते हैं
बस हम ठहर जाते हैं..

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