Feb 1, 2020

उसके दो अलग घर

उसके पास दो घर हैं
एक जहां वो रहती है
टूटे कनस्तर,
प्लास्टर उखरती दीवारों
और बदरंग कुर्सियों के बीच
अपनी मां के साथ

मां जो सुबह पांच बजे
 कुकर की सीटियों के साथ
अपनी नाक भी बजाती है
मां जो डांट डांट कर स्कूल के लिए
तैयार करती है
मां जो बीस रुपए दे कर कहती है
पूरे हफ्ते का पॉकेट खर्च एक साथ

मां जो हर खिलौने और ड्रेस की मांग पर
अगले महीने का वादा कर चुप हो जाती है
मां जो ऑफिस पर घर में सुपरवुमन की तरह
हर समय जंप लगाती है
मा को हर वक़्त पीट पीट कर पढ़ाती है
और सायकिल दिलाने पर
 हर रोज चलाने कहती है

उसके दूसरे घर में ये सब उलझन नहीं है
जब भी वह जाती है
खिलौने से लाद दिया जाता है
दादी हर वो चीज बना कर खिलाती है
जो उसने मांगा ही नहीं
पापा चाइना और ऑस्ट्रेलिया के तोहफे दिखाते है
पूरा घर Disneyland sa चमकता है

पर वो समझ नहीं पाती उसका घर कौन सा है
क्यों इस चमकते Disneyland me
भी उसे उस टूटे घर में जाने की जल्दी होती है
क्यों वो यहां आते वक़्त
ज्यादा कपड़े या किताबे नहीं लाना चाहती
कि वापस जाने का बहाना हो

क्यों यूट्यूब और इंस्टा देखने पर
 आग बबूला होती मा
उसके इस घर आने पर
चुप सी हो जाती है
और धीरे से कहती है
अच्छा बेबी है बनना
किसी को तंग नहीं करना

वो तोड़ना चाहती है
इस घर से उस घर का फासला
उसको समझ नहीं आते बड़ों के झगड़े
उसको डर लगता है
मां से पापा के बारे में कुछ पूछने में
और पापा और दादी के सामने मां के बारे में बताने में
और वो सबकुछ तोड़ती रहती है
बिना किसी कारण के
अपनी ही डॉल के हाथ पैर और घर,
 जो उसने खुद ही सजाया था

2 comments:

Anonymous said...

Yu tune apna jahan likh diya...
Jyu wahi tere ghar mez ke piche khada main dekh rha hu...
Tu likhte royi ho na ho...
Main ab bachon se lipat kar ro rha hu.

Micheal Alexander said...

Interesting Article. Hoping that you will continue posting an article having a useful information. Loneliness