विचारधारा

विश्वविद्यालय में मेरे सामने खडे हैं चार दोस्त-
एक लड़की दो लड़कों के साथ,
और बगल में खड़ा है एक कुत्ता।

लड़की, जो है बीस-एक साल की,
रंगीन फूलों वाली छाप के कपडो में,
लंबे बालों को झटकती, चश्मों को ऊपर चढाये,
मार्क्स की बेसिर-पैर कल्पनाओं को नकार रही है।

वे दो लड़के,
अपनी पोस्ट माडर्निस्ट सोच के साथ ,
सीमेंट की बेंच पर पैर चढाये खडे हैं,
फूलों वाले कपडे पहनी अपनी दोस्त के साथ।
कभी- कभी उसकी पीठ पर,
धौल जमा कर, उसकी बातों का
समर्थन करते हुए,
उसके बालों से खेलते हैं।
उनमे से एक ने पकड़ रखी है,
कुत्ते की बेल्ट।
मगर कुत्ता-
मार्क्सवाद की बुराइयों, लडकी के बाल और उसके दोनो दोस्तों से उदासीन,
सामने पड़ी जूठी प्लेट को निहार रहा है,
जो कि बिल्कुल खाली है...

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