बदलती पृष्ठभूमियाँ

तुम्हारे प्रेम में
उलझती रही फूलों से, हवाओ से
गुनगुनाती रही मुस्कराहट के गीत
तुम्हारे प्रेम में
सपने देखती रही परियो के देश में
थरथराती रही भावनाओ की छुअन  से
तुम्हारे प्रेम में उलझ बैठी वंचनाओ से, रिश्तो से
रोपती गयी हर सूनी जगह तुम्हारे एहसास को
तुम्हारे प्रेम में
हतप्रभ होती रही बदलती पृष्ठभूमियो से
आखें मीचे रही बार बार भूलने की कोशिश में;
पर रेत की तरह
मुठ्ठी से सब फिसलता गया..
वो मुस्कराहट के गीत, वो भावनाओ की छुवन ..
ओउर प्यार भरे अहसास..

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