सफीना

मै जिस उम्मीद से खड़ी थी समंदर किनारे
नाखुदा के इन्तेजार में
कश्ती में बैठ कर पार कर लू भवरो के द्वन्द को
पा लूँ उस पार की सरहद और जमीन
जहां तूफ़ान और हलचल खो गए हैं
छितिज़ के साथ साथ
 
कही दूर उस पार बैठ कर'
कर सकुंगी एक सुकून की तलाश

सहसा ख़याल आया
कही वो सफीना भवर में ही खो गया तो.... 
    

Comments

Popular posts from this blog

अच्छा लगता है !

दिल दिमाग़ और दर्द