Oct 9, 2011

एक प्रीपेड मोबाइल उपभोक्ता का दर्द



उसने लिखा मै करता हू मुहब्बत तुमसे
दिल में कुछ स्पंदन हुआ थरथराता सा

उसने कहा तुम मेरे सपनो में आने लगी हो आजकल
हम लिपट कर तकिये से मुस्कराने लगे

उसने लिखा तुम्हारी आवाज़ नहीं सुनी कबसे
हम धरकते दिल फ़ोन कि घंटी के लिए तरसने लगे

उसने लिखा क्या तुम भी करती हो मुहब्बत हमसे
मेरे दिल में हुई हलचल फ़ोन के कीपैड तक न पहुच पाई

फिर उसने लिखा हम ग़मगीन है तुम्हारे साइलेंस से
हम तड़प उठे ...फिर आगे पढ़ा॥

जाओ माफ़ किया तुम्हे मेरी मुहब्बत के क़त्ल का
खुदा के लिए मुझे भूल जाना अब कभी एकतरफा मेसेज नहीं करूँगा

.....हम सोचते रहे कि काश तनख्वाह मिल गयी होती
.....काश मेरे मोबाइल में इतना बैलेंस तो होता कि हम भी इजहारे मुहब्बत कर देते...

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