परछाइयाँ रोकती हैं रास्ता

परछाइयाँ रोकती हैं रास्ता मंजिल का गुमान देकर
हम इस तरफ देखे की उस तरफ..
चलना है..चलते ही  जाना है ..रुकना नहीं जिंदगी

हर तरफ ये दावा करने वालो की भीड़ हैं
कि बस वो ही हैं मुकम्मल जहाँ बनाने वाले
कोई हमसे कहा पूछता कि मेरा तैशुदा रास्ता क्या है..
न इश्क का तिलस्म देता है चैन, न दिखती है तूफानी वादों में रवानगी
चलना है..चलते ही  जाना है ..रुकना नहीं जिंदगी

ऐ रस्ते के खुदाओं जरा दूर ठहर जा
हम दूरियों से नहीं ठहरने से घबराते हैं..
तू  छांव का भुलाबा दे न रोक मुझे
चलना है..चलते ही  जाना है ..रुकना नहीं जिंदगी


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