Apr 19, 2012

उलझन


जानती हूँ बहुत प्यार करते हो मुझसे
जानती हूँ की मेरी पलकों में बसती है तुम्हारी सुबह
मगर सपनों में भी नींद चुराया न करो..
तल्ख़ सूरज की तपिश से कुम्लायेंगे रुखसार
मगर रौशनी से छुपना मुझे गंवारा नहीं
तुम बारिश में भीग जाने का खौफ मत दिखाओ..
मुझे बूंदों से उलझने दो..
इन हवाओं से मिलता है जीने का जूनून
तूफ़ान कह के न डराओ यूँ मुझे...
इश्क की अब्र में पिघल जाने दो रात को
मगर चाँद को खुद ही ढल जाने दो..

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