उलझन


जानती हूँ बहुत प्यार करते हो मुझसे
जानती हूँ की मेरी पलकों में बसती है तुम्हारी सुबह
मगर सपनों में भी नींद चुराया न करो..
तल्ख़ सूरज की तपिश से कुम्लायेंगे रुखसार
मगर रौशनी से छुपना मुझे गंवारा नहीं
तुम बारिश में भीग जाने का खौफ मत दिखाओ..
मुझे बूंदों से उलझने दो..
इन हवाओं से मिलता है जीने का जूनून
तूफ़ान कह के न डराओ यूँ मुझे...
इश्क की अब्र में पिघल जाने दो रात को
मगर चाँद को खुद ही ढल जाने दो..

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