मैं तुमसे दूर जाना चाहती हूँ

मैं तुमसे दूर जाना चाहती हूँ
भूल जाना चाहती हूँ
कि मेरी हर बात में हो तुम
तुम, तुम्हारी बातें, तुम्हारा हँसना, तुम्हारा रोना,
तुम्हारा उत्तेजित होना और तुम्हारी सहनुभूतियाँ
जो हर कमजोर नस्ल के लिए उभरती थीं
उनमे से कुछ भी अब मेरे सामने नहीं..
और मैं चाहती भी नहीं इन चीजों को
अपने आसपास
मैं  भूल जाना चाहती हूँ हर चीज को
मापने का तुम्हारा पैमाना..
और हर अहसास को जीने का तुम्हारा नजरिया
..शुक्रगुजार हूँ कि तुमने
उन रिश्तो को दिया है एक नया मोड़
जिन्हें मंजिल तक ले जाना
मुमकिन न था
और उन तमाम बातों के लिए
जो तुम्हारी वज़ह से मेरे जीने का सबब बनी हैं
पर उन तमाम खुशियों, '
हसरतों और चीजों के साथ साथ
अपनी यादें भी क्यों नहीं ले लेते वापस
क्यों मेरी तमाम जीने की कोशिशों को
तमाचा मार देती है तुम्हारी गैर मौजूदगी
निकाल ले जाओ अपनी परछाई मेरी रूह से
मैं हर उस चीज को भूल जाना चाहती हूँ
जिसपर तेरा नाम लिखा है..
हाँ मैं तुमसे दूर जाना चाहती हूँ.

Comments

Popular posts from this blog

अच्छा लगता है !

दिल दिमाग़ और दर्द