हिसाब ले लो

गम इस बात का नहीं की तुम यहाँ नहीं हो
इसका है की हर बात में मौजूद रहता है तुम्हारे न होने का अहसास
और हर वक़्त यही लगता है कि मैं खुद को नहीं
तुम्हारे गायबाने को जीती हूँ..

मेरी जिन्दगी बन गयी है  तुम्हारे खालीपन का अक्स
उसी अक्स को मैं अपने आइनों में भर लेती हूँ
तुम्हारा प्यार, तुम्हारे दिए ग़मों के तोहफे और तुम्हारी यादें
भारी पड़ने लगे हैं मेरे हर आने वाले लम्हे पर

तुम्हारे सपनों को जज्ब किये लेती हूँ अपनी हसरतों में
ये फेहरिस्त बड़ी है आंसू भरी बातो की,
ज़रा हिसाब ले लो कितनी राते हैं
तुम्हारे जज्बातों और मेरी अकेली रातों की..


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