मेह से विगलित
धरती पर नूतन नेह,
स्नेह से आलोकित
मधुमय गह.
नयी आकान्छाएं
ललित परिवेश,
नवीन कल्पनाओं के
हैं मुखर सन्देश.
हो पुण्य,
स्मृतियों से सिंचित
उपवन जीवन का हर्ष,
खुशियों से झूम उठे
नित नूतन नववर्ष.
१ जनवरी, 1998
धरती पर नूतन नेह,
स्नेह से आलोकित
मधुमय गह.
नयी आकान्छाएं
ललित परिवेश,
नवीन कल्पनाओं के
हैं मुखर सन्देश.
हो पुण्य,
स्मृतियों से सिंचित
उपवन जीवन का हर्ष,
खुशियों से झूम उठे
नित नूतन नववर्ष.
१ जनवरी, 1998
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