वो आये मेरे पास
फूलों की सौगात लेते हुए..
ये तो उनकी आदत है..
मुस्कराते हैं वो
मुस्कराहट देते हुए..
ये तो उनकी आदत है..
वो जो फूल सजा जाते हैं
उनके नीचे हम कांटे छुपा देते हैं..
क्या करे आदत है..
हम कांटो सा चुभ जाते हैं..
कसक कर उनको भी रुला जाते हैं..
ये हमारी आदत है..
फूलों की सौगात लेते हुए..
ये तो उनकी आदत है..
मुस्कराते हैं वो
मुस्कराहट देते हुए..
ये तो उनकी आदत है..
वो जो फूल सजा जाते हैं
उनके नीचे हम कांटे छुपा देते हैं..
क्या करे आदत है..
हम कांटो सा चुभ जाते हैं..
कसक कर उनको भी रुला जाते हैं..
ये हमारी आदत है..
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