खौफ लफ़्ज़ों से हो तो मौन रहिये

खौफ लफ़्ज़ों से हो तो फिर मौन रहिये
दाग दामन में हों तो मौन रहिये
हमने तो नाम भी नहीं लिया आपका
आपकी दाढ़ी में तिनका निकला हुज़ूर मौन रहिये

जो कौम सवालों से डरती है
वो खुदा के नाम हर छद्म भरती है
आप तो नाखुदा के सेहन में हैं
फिर भी तूफ़ान से डर  हो तो मौन रहिये

अजनबी शहर के अजनबी लोग हैं
मुद्दतों साथ रहते साथ जीते से अलग अलग

आप तो जमाने की चाहत हैं
बेचैनी अपनों की हिकारत से है तो मौन रहिये

फ़िक्र नहीं कभी तो गर्क होगी दीवार फरेब की
आप नकाबों में छुपे ही खूबसूरत रहें
हम तो लफ्जों को जीते हैं कुछ तो कहेंगे ही
खौफ लफ़्ज़ों से हो तो मौन रहिये

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