इश्क की उलझनें

१. ना खबर है कि तुम हो, न होश कि हम हैं .
अब  इस बेखुदी को तुम जो भी नाम दो ..

२. हम इश्क में जीते हैं , पूरा खुदा मिलता नहीं
तुम बेड़ियाँ लगाये बैठे हो अधूरे खुदा

३. हम इतने मजबूर क्यों हैं तुम्हारे सामने सनम..
मेरे बस में हम खुद नहीं तुम्हारा क्या कसूर

४. दर्द तुम्हारी उलझनों को देखकर
अफ़सोस अपनी जिद से है..
जो चाहते न होते तुमको तो
शिकायत भी न होती खुद से

५. उफ़ ये सुबह ये शाम और
कमबख्त होठों पर तुम्हारा नाम
जिक्रे वफ़ा हो या जफा
या रुसवाई चाहने वालों की
हर आह पे वाह निकल आती है..

६. तुम्हारे बिना फिर से ग्रे हो गयी है जिन्दगी दोस्त
आज हमने उसी स्यापे में ग्रे लिबास ओढ़ लिया है...

७. जान जाने का खौफ नहीं
जान जाती है हर एक पल अब तो
तुम न थे तो बेचैन थे
तुमको पाने का सबब अब तो

८. बंद पलकों पे तेरे नाम का
एहसास इस कदर होता है रात भर
नाम लेते हो मेरा तुम जब
ख्वाब पिघलते हैं सहर सहर

१०. स्याह और सफ़ेद करते रह गए तुम
बंद आँखों से हर तमाशा देखते रहे हम

११. क़ुसूर मेरे इश्क का हो या तेरे जूनून का
तबाह तुम भी होगे तबाह हम भी ..

13. मेरे रंग पे मत जाओ धुप का असर है
मैं गंगा से ज्यादा गुलाबी हूँ
और चिनाब से ज्यादा सुर्ख

14. तुम अपने गम समेट लो, हम अपनी आरजुओं का समन्दर
एक ही बात है..
तुम भी नमकीन पानी हो हम भी नमकीन पानी

15. उलझा है हर लफ्ज़ तुम्हारे हाँ ओर ना के बीच
कि हर बात में तुम्हे कोई ism नजर आता है

16.  हम नहीं समझ पाते तुम्हारी सूफियाना बातें
जरा नीचे उतर के बताओ दरिया  को बहना किधर है

१७  कहाँ कहाँ दिल दिए फिरोगे ये तिजारत की चीज नहीं
जो मिल गया गैर को कभी कि तुम जिनके अजीज़ नहीं.

१८. सोच लो ज़माना संगदिल है शायर नहीं
उनकी हर नज़्म अलग अलग सांचों में ढली होती है
हर सांचे में इक नया इश्क होता है हर नज़्म में सियासत सी जमी होती है ..

१९. ख्वाब मेरे धुंधले से है फिर भी किसी का अक्स आँखों म उतर आता है ..
सरगोशी हवा की कहती है  वो है यहीं कहीं ..


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