खालीपन का अक्स


गम इस बात का नहीं कि तुम यहाँ नहीं हो मेरे खुदा
गम इसका है कि हर बात में मौजूद है
तुम्हारे न होने का एहसास
और हर वक़्त यही लगता है
कि मैं तुम्हारे गायबाने को जीती हूँ

मेरी जिन्दगी बन गयी है तुम्हारे खालीपन का अक्स
उसी अक्स को अपने आइनों में भरती जाती हूँ
तुम्हारे दिए तोहफे और तुम्हारी ज्यादतियां
इस कदर भरी पड़ने लगे हैं मेरे हर आने वाले लम्हे पर
कि मेरे चाहने न चाहने से कोई फर्क नहीं पड़ता अब
हसरतों को तुम्हारे ख्वाबों में ज़ज्ब किये जाती हूँ

उम्र भर रोई हैं मेरी नींदे ओ मेरे अनदेखे स्वप्न
उनको गिनके पता कर लेना  मैं कितनी रातों को सोती हूँ 

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