Mar 10, 2019

उस फ़कीर की बात

उस फ़कीर की हर बात आज झूठी हुई है
मेरी तकदीर आज मुझसे रूठी हुई है

बदलते वक़्त के नज़ारे
शमाएँ बुत चुकी हैं
और मैं--
एक सूखी नदी का तट बन चुकी हूँ
मेरी तकदीर मुझसे रूठी हुई है
उस फ़कीर की हर बात आज झूठी हुई है

अकेलापन मेरा साथी बन गया है
और बात जोहती सूनी आँखें मेरी पहचान
क्योकि मेरी तकदीर आज मुझसे रूठी हुई है
उस फ़कीर की हर बात आज झूठी हुई है
६ जून १९९४ 

No comments: