Jul 2, 2019

टूटे आईने का सच

एक सपना देखा मैंने भी
करीब दो दिन पहले
जब मैं गरीबी से थक कर चूर थी
और मेरी आँखे
मिडिल क्लास महत्वाकान्छाओं से  दब कर
कुछ पल के लिए मीठी नींद में थीं

अक्सर रात को नहीं सो पाती मैं
छोटो बड़ी इच्छाओं की कुलबुलाहट छीन  लेती है नींद
और मेरी मजबूरियों का कोल्ड स्टोरेज बड़ा होता जाता है
जिसमे दफ़न हो जाती है नींद भी
छोटी बड़ी चाहतों के साथ साथ

इसलिए अचानक से इतने अच्छे सपने का आना बड़ा खुशगंवार था
इतना कि जागने पर भी मैं झूमती रही
उसकी गुनगुनाहट में
अपने टूटे आईने में बार बार अपना चेहरा देखा
जो हमेशा मच्छरों के  दाग से बदरंग नजर आता है

मैंने देखा मेरे चेहरे पर सौम्यमुद्र के गलों की लाली छा गयी है
मेरी मुस्कान माधुरी दीक्षित की अदाओं से ज्यादा मोहक हो उठी थी
मेरे लैब मुस्कराने लगे ग़ालिब के शेर दुहरा कर
हालाँकि आइना टूटा हुआ था और अब भी
वही आइना दीवार से लगा है

पर मुद्दतों बाद अपने चेहरे का इस कदर खूबसूरत लगना
और अपने सपनो कि गुनगुनाहट में झूमना
मुझे हमेशा याद आएगा
दो पल के लिए ही सही मेरी बंद पलकों का  सच
टूटे आईने में ही उभर कर आएगा




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