आओ हम मोहब्बत की रस्म निभाते हैं
थोड़ा हम दिल को थाम लें थोड़ा तुम हमको
इश्क तिजारत ही सही, आओ कर जाते हैं
आँख जो नम होने की नेमत से भरी हैं हर वक्त
तेरे जिक्र तेरी याद की इबादत सी कर जाते हैं
आओ हम मोहब्बत की रस्म निभाते हैं
सांस रूकती हैं तुम्हारे गायबाने से हर मौजूदगी
बेअसर रहती है
क्या मिलें खुद से या गैरों से मेरी रूह बस
बेखबर रहती है
सूफियाना बातों का तिलस्म तुम्हारा
कभी डूबते हैं कभी सम्हल जाते हैं
आओ हम मोहब्बत की रस्म निभाते हैं
हलक में चुभ रहे कुछ अनकहे शब्द कुछ बातें
तुमको फुर्सत हो तो हाले दिल सुना जाते हैं
आओ हम मोहब्बत की रस्म निभाते हैं
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