हम तुम और तमाम कॉविड ग्रस्त लोग सिर्फ आंकड़े हैं
कभी राज्य छुपाएगा कभी देश
कभी विश्व स्वास्थ्य संगठन को गरियायेंगे जोर जोर से
और तमाम देशवासी उनकी देशभक्ति से प्रफुल्लित होंगे
सब आंकड़े हैं गायब कर दिए जाएंगे
हमारी उम्मीदें हमारे सपने
ऑफिस, बाजार, सड़के और उन पर चलते लोग
स्कूल, कॉलेज और बेरोजगार होते शिक्षक
गठरी बने रोड पर कुदाल, छेनी और हथौड़े लिए मजदूर
बिना सवारी के घंटी टन टनाता रिक्शा
सब आंकड़े हैं, गायब कर दिए जाएंगे
गुम सुम घर में ठूंसे सहमे से बच्चे
उनकी दबी हुई हंसी व्हाट्स एप और रोबोलॉक्स के बीच धंसती चली जायेगी।
खेल के मैदान खाली हैं वहां कोई बाजार लग सकता है क्या
खेती में किसानों को।दिलचस्पी नहीं है
वे सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी में लगे हैं
खेतों में कोई नया कारखाना लगेगा क्या
बाकी तो आंकड़े हैं गायब कर दिए जाएंगे
हिसाब है..
वो किसान और खेत, स्कूल और बच्चे
और हमारी तुम्हारी खुली आंखों की मौत भी
सब आंकड़े हैं।
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