वजह तुम हो
हर रोज की तरह खुद से किए गए वादे
तोड़ते हैं की तुम्हे कभी याद नहीं करेंगे
हर साल एक रेजोल्यूशन बनाते हैं कि तुम्हे कभी उतनी जगह नहीं देंगे की तुम आंसुओं का समंदर बहा सको
हर रोज उम्मीद करते हैं तुम्हारे नाम के साथ
कोई टीस न महसूस हो
हर रोज भूल जाते हैं
अपनी बेकार कोशिशें
इन तमाम बातों में
अफसोस है अभी तक तुम ही नजर आते हो
हां हर बात की वजह तब भी तुम थे और अब भी...
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