Jun 7, 2022

दही जमा ही रहेगा


कुछ दिन पहले हमने मुंह में दही जमने की बात क्या की लगता है सारा सिस्टम ही जम गया। सरकार है की जमी हुई है। सुशासन चल रहा और हर तरफ राम राज्य है। अगर आपकी बुद्धि खुली हुई है तो सबकुछ सही चल रहा, जमे हुए दही की तरह। क्योंकि दही का जम जाना ही सही होता है ये तो आप जानते हैं। कमाल का उदाहरण है। लोकतंत्र के सफल और असफल होने की सारी परिभाषा ही बदल जायेगी। और इस नई परिभाषा के आविष्कार के बाद मुझे लगता है मुझे भी अब राजनीति में कूद जाना चाहिए। पर प्रोब्लम सिर्फ उन लोगो की है जो गोदी मीडिया नही देखते। उनको रवीश कुमार की बातें अच्छी लगती हैं और वो इस घोर सतयुग में भी बुराइयां खोजते हैं।
आप किसी एक पार्टी के प्रवक्ता की बात पर किसी देश का बॉयकॉट कैसे कर सकते हैं। लगता है अरब देशों को सोने की चिड़िया की कद्र नहीं। हमारे पास क्या नही है। अगर वो हमारा बहिष्कार करेंगे तो उनका घाटा है। बाकी हमको तो इस देश में कुछ होता गलत लगता ही नहीं। जो हो रहा वो इंटरनल है भाई सब। आंतरिक नीति, समझे कि नहीं। हम कश्मीर को लद्दाख बनाए या पाओभाजी में आइसक्रीम मिलाएं आपको क्या? देश विदेश में हमारी जय जय हो रही। यूक्रेन और रूस भी हमारी बात पर ही अभी तक चल रहें और आपको लगता है दही नही जम रहा।
 बिलकुल जमा हुआ है दही और जिसको भी स्वाद लेना है, अयोध्या आके देख ले। काशी आ कर देख ले।
समस्त विश्व में एकमात्र देश है जो इतिहास को सही करने में लगा है। वर्तमान से कुछ नही होता। आखिर हमारे पास एक गौरवशाली अतीत है। अब उसमे कुछ द्वंद थे तो हमारी सरकार पहले उन्हें सही करेगी, वर्तमान और भविष्य अपने आप सही हो जाएगा। है ना कमाल का आइडिया ! सोचिए आप भी और कुछ प्रेरणा लेनी चाहिए दूसरे देशों को भी। 


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