Apr 25, 2023

जब तुम नहीं होते हो

 काली काली परछाइयों के बीच 

मई बिलकुल अकेली हो जाती हूँ 

भय के भयानक पंजे मुझे दबोचने लगते हैं 

सच और झूठ का फरेब आग उगलता है 

इन सबके बीच डरती कांपती मैं 

......सब कुछ एक दुह्स्वप्न की तरह.

 तुम......, 

तुम कहाँ होते हो प्रिय 

तुम्हारी याद एक सिहरन बनकर उभरती है 

और तुम्हारा न होना...विषदंश !!!

मेरे अकेलेपन में हर तीस कि वजह तुम होते हो 

क्युकि तुम वहां नहीं होते हो !


दीवार पर फैलते बिगड़ते पंजे 

यादो की सिहरन और वो भयानक आग 

मुझे दबोचने लगते हैं कि अचानक

खुल जाती है आँखे

टूट जाता है कुछ देर के लिए ही सही 

तुम्हारे पास होकर भी तुम्हे खो देने का भय 

पलट कर देखती हू तुम्हे छूकर 

हर त्रास को झूठ समझ कर फिर सो जाने की कोशिश करते हुए 

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