बहुत कुछ सीख लेते हैं लोग
किसी के माशूक को चाय की तलब थी
तो चाय से इश्क कर लिया
किसी को बारिश पसंद थी तो जनाब चातक हो गए
और ताकते रहे स्वाति नक्षत्र की उस बूंद को
जो सीपी में मोती बना दे
इंतजार की धूप में तपती मरुभूमि बन गए
और एक जरा नजर इनायत हुई कि
आषाढ़ के बादल से फट पड़े
और जब आवाज सुनी तो बस पागल ही हो गए
ये जुनून भी मगर फकत बातों का है
उनको मालूम कहां कोई इतना भी तन्हा है
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