Jul 2, 2023

एक वही अक्स आता रहा

वो इश्क ही था हर दफा रुलाता रहा
सफर तो यूं आसान ही था मेरा
कांच सा टूट कर जो चुभता रहा
ज़ख्म बना दिल ही था मेरा
उनको जाना ही था दिल तोड़ कर ही 
बार बार फिर भी वही फलसफा दोहराता रहा
इश्क और जिंदगी को अलग अलग क्यों नही जी लेते
प्यार करते हो तो गलत हो ये बताता रहा 
हम ऐसे ही क्यों न रह सकते 
साथ निभाने की ख्वाहिश फिज़ूल कहता रहा 
हर एक आंसू को दफन करते गए हम 
जेहन में फिर भी एक वही अक्स आता रहा

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