आ जाओ कि बहुत उदास है शाम
तुम्हारा आना बिखेर देता है कई रंग.
आ जाओ कि बड़ा खामोश है समा
तुम जो आते हो कि गूंजने लगती है गुंजन.
आ जाओ बड़े स्याह लग रहे लम्हे जिन्दगी के
कि तुम्हारे आने पे उजास से भर जाता है मन.
आ जाओ कि ताप रही जेठ की दुपहरी की हवा
कि प्यार की खुशबुओं से भर जाये चिलमन.
११.०४.२००३
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