बची हुई कुछ चीजें

देखो मैंने तुम्हारी चीजें जो अब तक सम्हाल कर रखी थीं सब फेंक दिया है
ये तुम्हारा टिफिन का डब्बा, वो अलमारी मे पड़ा तुम्हारा टॉवल, 
वो चप्पल जो जान बुझ कर चुभने वाली खरीदी थी तुम्हारे लिए 
वो कुर्सी जिसपर रखे कुशन मे एक छेद है
सोफे का वो कोना जहाँ तुम्हारे बगल मे जबरदस्ती घुसने की कोशिश करती थी मै वो सब मैंने नोच नोच कर फेंक दिया है अपने दिमाग से। 
बिस्तर पर हमेशा दीवार की तरफ सोना मुझे पसंद नही इसलिए मैंने अब जगह ही बदल दी है। 
तुम्हारे डर से सफाई करने के बाद भी हर जगह दुबारा साफ करती थी मै
पौछा लगाने के बाद भी फर्श पर पाँव रखते हुए तुम्हारी नजरों मे  डाँट का खौफ होता था। 
सरकारी मकान के हर कोने को साफ करना वैसा ही है जैसे कल कंबल को सफेद करने की कोशिश
ये जानते हुए भी 
अपनी घरेलू कुशलता से तुम्हे खुश करने की असफल कोशिशें
मानो मेरा अस्तित्व रसोई और झाड़ू से सार्थक होने वाला हो
कच्ची पक्की रसोई पर तुम्हारे आग्नेय नेत्रों मे अपने लिए सहानुभूति ढूँढने की फ़ितरत 
सब छोड़ दिया है। 
मैंने अब किसी को बेवजह खुश करना, किसी के लिए खुद को गलत समझना  और प्यार पाने के लिए खुद को खोना मेरे सपनो मे नही है।
उम्र का तकाजा है अब खुद से प्यार करना सीख लूँ ये भी बहुत होगा। 

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