खुद को याद दिलाती हूँ तुम्हारी तल्ख बातें
तुम्हारा हर बात पर मुझे हराने की कोशिश
पहले खुद जैसा बनाने की कोशिश और फिर कहना कि मै कौन सा अलग हूँ
पहले अपनी कमजोरियां बताना फिर उनका जिक्र करने से नाराज होना
पहले दर्द जानना फिर मेरे दर्द का ही मजाक बना देना
फिर प्यार से संहालना और धक्का दे कर गिरा देना
याद तो ये भी है कि तुमने बिना वादा किये साथ दिया और वादा करके फिर मुकर गए
याद ये भी है कि मैंने तुम्हे भूलने की कसम खाई है और रोज रोज कसकती है टीस अपनी ही जिद से हार जाने की
शायद तमाम कोशिशों पर मेरा एकतरफा इश्क़ हावी है
और मै अभी भी तुम्हारी यादों को अपनी कैद बनाये रखने मै जिद मे हूँ
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