तुम्हारे वादे

 तुम्हारे वादे 

ओह कितनी हसीं होती है तुम्हारी हर एक बात 

जैसे चांदनी रात की शबनम 

जैसे तारो ने बरसा दिया हो अपना प्यार

जैसे बादलों ने बख्श दी हो हर नेमत 

मगर तुम्हारा न आना हर बात को बेमानी बना देता है 

हो जाती है सुबह से शाम और फिर दिन से रात 

बादलों कि नेमतें जब्त कर लेती है

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