ग़म के नग़्मे सुनाए क्यों
सुनेगी दुनिया हंस हंस के तुम पर
फिर कहेंगे चलो जाओ वापस तुम आए क्यों
राह मुहब्बत की कब जमाने में आसान थी
हमसे पूछे बिना यूं आजमाए क्यों
बात पूछेंगे भी तंज देते हुए
इश्क में उन दिनों बहोत इतराए क्यों
दिल के दाग दिखाए क्यों
ग़म के नग़्मे सुनाए क्यों
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