बालकनी का सूरज



खिड़कियों से मेरे सूरज कभी मुस्कराया नहीं
 दिल में उदासी की धुंध  सी छाई है सुबह से

ये दरवाजे बालकनी के बंद हैं अरसे से
मुंडेर पर अब तक कबूतर कोई आया नहीं
gunjanpriya@blogspot.com





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