जब आखिरी बार हमारी मुलाकात होगी
मुझे मालूम है एक ओर बार मुलाकात होगी तुमसे
हालांकि ये भी मालूम है ये आखिरी बार होगा
ये बार बार टाली गई मुलाकात है
क्यूंकि अबतक मैं आखिरी शब्द जोड़ नहीं पाई
हर बार तुम्हारे चले जाने को मैने फिर से टाल दिया
हर बार तुम्हारे दूर जाने को अपनी ही गलती मान ली
हर बार तुम्हारे नाराजगी में खुद को शरारतें करते देख लिया
चाय में अदरक ज्यादा , चीनी ज्यादा है,
शायद ज्यादा उबाल दिया होगा मैने
शायद मेरा चुप रहना उसे पसंद नहीं आया पिछली बार उसे
ओह अबकी बार मेरा बीच में बोलना गलत हो गया
तो अबकी बार क्या करना है मुझे नहीं पता
मुझे बोलना है या चुप रह जाना है ये नहीं पता
टूट कर रो देना है या तुम्हारे गले लग कर रो देना है नहीं पता
कि तुम्हारे सामने सख्त बनकर तुम्हारे जाने के बाद बिखरना है नहीं पता
पर ये आखिरी बार होगा बस अब सिर्फ ये पता है
अब हमारे तुम्हारे बीच सिर्फ शिकायतें हैं शायद
मुहब्बत अब भी दबी होगी कहीं इन्हीं शिकायतों के बीच
चाय साथ पीने की खत्म होती ख्वाहिशों के बीच
उसे अब सुलगते छोड़ देना ठीक नहीं होगा शायद
जाते जाते तुम उस राख को मसल कर जाना
जो बार बार बची रह जाती है तुम्हारे अहसास की चिंगारी के साथ
ये जता के जाना कि तुम्हे अब कोई फर्क नहीं पड़ेगा
मेरे होने, न होने, ठीक होने या बिगड़ जाने से
नाराज मत होना क्योंकि तुम्हारी नाराजगी में भी मै इश्क ढूंढ लेती हूं
जोर जोर से मत बोलना मेरा दिल कमजोर है बहुत
ओर आदत इतनी खराब की लगता है ये डांट भी प्यार है शायद
खामोशी से जाना इस बार।
ऐसे जाना कि इस घर को पता न चले यहां इस कोने में अपनी खुशबू मत छोड़ जाना जहां तुम्हारे जाने का बाद आंसुओं के समंदर से धोते रहते हैं हम रगड़ रगड़ कर साफ करते हुए कि तुम फिर से बिगड़ने वाले हो ।
इस बार तुम्हे आखिरी बार विदा करना है बिना शिकवे शिकायत ओर आंसू के
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