दिल चाहता है गाना तो सुना ही होगा आपने? खासकर जब आप अपने प्रोफाइल पर 80s and 90s किड लिखते हैं और सोचते हैं सामने वाला इस बात से आपको खास तवज्जो देगा। प्रोफाइल से मतलब मेरा सोशल मीडिया से है क्योंकि आजकल लोग इंप्रेशन जमाने के लिए न तो शोले के वीरू की तरह पानी की टंकी पर चढ़ के चिल्लाते हैं और न इश्क में मर मिटने की तमन्ना लिए अनारकली की तरह दीवार में चिनने जाते हैं। सोशल मीडिया तो क्रांति ले आई इस इंप्रेशन वाले मामले में। इतना आसान है __ दो चार फोटोशॉप किए हुए फोटो लगा दो, अच्छी अच्छी बातें लिख दो, और नही आता तो किसी अच्छे लेखक या शायर की दो चार पंक्तियां उधार में डाल दो। बस हो गई एक नंबर की प्रोफाइल तैयार। उधार भी क्यों भाई साहब कहिए कि हमने ही लिखी है। सामने वाला या वाली भी लाइब्रेरी में बैठ कर बाल तो सफेद कर नहीं रहे की उन्हें पता भी हो कि जो अल्फाज पढ़ कर वो फिदा हुए जा रहे वो शेक्सपियर और रूमी के डायलॉग हैं। और पता भी चल जाए तो आप ये कह सकते हैं हमारा टेस्ट बहुत अच्छा है। इसको बोलते हैं हर्रे लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा हो जाए ! लेकिन इस हर्रे और फिटकरी के चक्कर ...
एक दिन मन में आया किसी बिछड़े हुए को याद किया जाए फिर बैठ के फुर्सत से कहीं चाय पी जाए पास से परखा जाए वक्त की राख के नीचे दबे उन नर्म एहसासों को गुजर गया जो सुकून उसे फिर से जिया जाए दिमाग़ ने कहा मत करो बेवकूफी फिर से दिमाग़ ने कहा मत करो बेवकूफी फिर से गुजरे हुए को लौटना फिर से घावों को कुरेदना है सिलसिले टूटने की वजह अभी खत्म कहां हुई है क्यों फिर आंसुओं के सैलाब लिए जाएं मग़र दिल तो दिल है दिल कहा सुनता है दिमाग़ की बातें लगाया फोन बुला भेजा हमने पुराने वक्त को फिर से पुराना वक्त आया उसी अकड़ में ऐंठे हुए गोया फिर से उसकी जरूरत है किसी को शायद अब भी उसकी दर्द देने की फितरत नहीं समझ पाया है कोई शायद अब भी नचा सकता है वो आज को कल की तरह बहुत हैरान हुआ मगर अतीत अपने बढ़े कदम के साथ कहीं दिखी नहीं वो खरोचें सामने था एक वीतराग। शून्य में हताश हो दौड़ा अतीत फिर से कहीं तो होंगे निशान उसके द्वारा क्षत विक्षत किए एहसासों के चिल्लाया जोर जोर से वो बेवफ़ाई का फरेब लिए वर्तमान रौंद कर उसकी फितरत अकेला आगे बढ़ गया है।
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