Kuch Bakaiti ham bhi kar lete hain

बहुत दिनों से बहुत शराफत में बतिया रहे थे हम इंस्टाग्राम पर जहां पर बाक़ी सब लोग शराफत छोड़ के आते हैं। गिव मी अ ब्रेक यार। आखिर औरत हूं शरीफ घर की लड़की। नौकरी करती हूं लेकिन ये कैसे भूल जाऊ कि बिहारी हूं। बिहारी एक हद तक ही चुप रह सकता है। ओर जब बिहारी बोलता है तो छोड़ता है लेकिन बिहारन....भैया बिहारन सीधे दागती हाईनेस की चमड़ी रह जाए ओर तुम्हारी हड्डी झुलस जाए।
ब्लॉग ब्लॉग खेलते खेलते थोड़ा ऑब्सोलेट फील हो रहा था तो मैने सोचा मिलेनियम वाले तो ऐसे भी बीच के हैं थोड़ा ये भी कर लेते हैं और थोड़ा इंस्टाग्राम पर आके मॉडर्न भी बन जाते हैं।
तो चले आए इंस्टाग्राम पर। चैंप दी अपनी ब्लॉग वाली कविताएं एक के बाद एक। अब ये मीडियम थोड़ा ज्यादा इंटरेस्टिंग है विजुअल्स ओर इंटरैक्टिव होने के कारण। मतलब कि हमको ब्लॉग की आदत लगी थी पर netflix की नहीं क्योंकि netflix में हम सिर्फ मूक दर्शक हैं चुपचाप देखते रहो। बल्कि मुझे जब नींद नहीं आती तो मैं netflix देखती हूं अब इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि सिनेमा बोरिंग हैं। हमारी जुबान जितनी बड़ी है उससे बड़े हैं हाथ तो जहां पर आपका मंतव्य भी दिख रहा हो वहां मनोरंजन का मजा दुगुना हो जाता है सो इंस्टाग्राम की लत लग गई हमे । एक प्रोफाइल था पर्सनल फिर दूसरा बनाया कविता पोस्ट करने को लेकिन फिर देखा वही लोग जो पर्सनल पर फॉलो कर रहे थे अब इस पर भी शुरू हो गए अपना जजमेंट लेकर। पहले वे कहेंगे हम तो दोस्त हैं फिर कहेंगे कविता अच्छी है फिर कहेंगे ये क्यों लिख दिया वो क्यों लिख दिया मुझे लगता है तुम्हे ऐसे लिखना चाहिए ..भाई लिखना मेरा फितूर है तुम्हे न पसंद है मत पसंद करो अपना जजमेंट तो अपने पास रखो। फिर सोचा पब्लिक प्रोफाइल बनाऊंगी लेकिन ऑफिस ओर फैमिली को अलग करके । 


चलो वो भी कर डाला 

लेकिन इंस्टाग्राम को ये मिलेनियल्स का पागलपन की हद तक एक्टिव होना पसंद नहीं शायद। कभी लाइक पे ब्लॉक कभी ज्यादा फॉलो किया तो ब्लॉक। शुक्र है पोस्टिंग पर ब्लॉक नहीं कर रहे। खैर अब समझ आ गया पब्लिक प्रोफाइल बनाया है तो सेलिब्रिटी टाइप्स से बिहेव करना है। मुस्कराए लेकिन किसी के लिए नहीं। पोस्ट कीजिए लाइक लीजिए लेकिन करिए मत किसी को लाइक। उसके लिए अपने पर्सनल प्रोफाइल पर जाएं। सीख रहे हैं धीरे धीरे बकैती करना अलग ओर सुनना अलग। चलो इति श्री आज का प्रवचनम।

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