aa gaya basant

आ गया बसंत भूला शिशिर का आघात
हर पेड़ खड़ा है लेकर नए पल्लव पात 

रास्तों में बिछी है पुराने पत्तों की चांदनी
 लाल है पलाश ओर शिमुल की बांधनी 

सुबह की अरुणिमा से होड़ करते गुलमोहर 
चाक  चाक हो उठा बीते मौसम का पतझड़ 

बदल गई है कोयल की कूक ओर पपीहे का संगीत 
बदल गए इस बसंत मन के भी मीत  @gunjanpriya.blogspot.com

Comments

Popular posts from this blog

दिल दिमाग़ और दर्द

अच्छा लगता है !