वर्ष 2025 में नारी समानता

वर्ष 2025 में नारी समानता
बहुत लोग मानने लगे हैं
 हिंदुस्तान में 
नारी समानता आ गई हैं

हालांकि ये अलग बात है 
अब भी रोज रोज  
पिट जाती हैं बेटियां, बहुएं ओर माएं 
पुरुषों के सामने जुबान खोलते
पढ़ने, बाहर जाने ओर कमाने का अधिकार मांगते हुए

 अब भी  
अखबार के हर दूसरे पन्ने पर
 रसोई गैस का सिलेंडर फट रहा 

अब भी फुटबॉल खेलते हुए बेटियां
 मिट्टी में गाड़ दी जाती हैं कि 
समाज  
उनके पिता को
बेटी की कमाई पर पलने वाला न कह दे 

अब भी तलाकशुदा बेटियों से 
ज्यादा अच्छी
अपने ससुराल से अर्थी पर निकलने वाली 
बेटियां ही मानी जाती हैं

अब भी सुप्रीम कोर्ट के दिए
 संपत्ति के अधिकार पर 
अटक जाती हैं बेटियां
 मायके से रिश्ता खत्म होने के डर से

मगर सोशल मीडिया में जरूर आ गई हैं 
बहुत सारी क्रांतियां
दूर तक दिखता है सबको 
 ...........नीला ड्रम

हां वो।नीला।ड्रम 
 ओर वो एक आध किस्से 
 जहां औरतों ने भी अपराध किए हैं मर्दों के खिलाफ
ओर यहीं पर
ओर छुप जाती हैं सारी सिसकती औरतें
निर्भया, भंवरी देवी 
दामिनी, ज्योति ओर प्रियदर्शिनी मुत्तु

पुरुषों को अब भी बर्दाश्त नहीं
कि 
 हर कार्यक्षेत्र में बराबरी न देने पर भी 
इस कदर कैसे हो सकती हैं औरते भयानक

उनका अबला नारी, देवी ओर अन्नपूर्णा रूप ही 
स्वीकार्य है सबको
ये कहना कि देखो मैने अपने घर में बेटियों को पढ़ने दिया है
देखो मैने बहू को स्कूल में पढ़ाने की इजाजत भी दे दी है
कि वो ड्यूटी से आकर घर भी सम्हाल पाए 
 देखो
 नारी समानता कितनी ज्यादा है हमारे यहां

अब भी 
कानून को घेरे में लेते हुए पुरुष कह देते हैं अनायास
हमारी अदालतें पुरुषों के प्रति सहृदयता नहीं दिखातीं 
 कि इस देश में महिलाओं ने बहुत अत्याचार किए हैं
बीवियों ने बंद कर रखा हैं शौहरों को 
काजल ओर पायलों की शिकस्त में
ओर उनकी हां ओर ना में पीढ़ियों की जकड़ी औरते 
रसोई से झांकती झेंप कर मुस्कुराती हैं

आंचल ओर घूंघट में अब भी छुपी वो करोड़ो औरतें 
सिर हिलाते हुए चूड़ियों से छिले हाथों को छिपाती हैं,
बिछुए से सूजे अंगूठे मलती है और सिखाती 
 बेटियों को चुप रहना ओर 
सहना सिखाती हैं
है
सचमुच कितनी समानता आ गई हैं
क्योंकि इतनी परतंत्र हैं नारियां आज भी
कि महज़ नौकरी की इजाजत मिल जाने को
स्वतंत्रता की पराकाष्ठा मान बैठी हैं

ओर कथित स्वतंत्र 
कामकाजी औरतें
 ऑफिस से आते ही पति ओर बच्चों के
 जूते करीने से रखती हैं
रसोई में घुस कर अपने बहु धर्म की कसौटी निभाकर कहती 


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