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अपने देश के प्रवासी

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हम जड़ से उखड़े हुए अपने ही देश में प्रवासी लोग सरकारी नौकरी ओर आवास पाकर  खुशी जाहिर करना चाहते हैं  मगर सामने जो लोग हैं वे हमे नहीं पहचानते उनके लिए सिर्फ फैलाने ब्लॉक के पहले तल्ले में बसे सरकारी ऑफिसर जो हर 3- 4 साल में  तबादले में चले जाते हैं हम वहां के मालिक नहीं, किरायेदार भी नहीं अरे नहीं आप अपने आवास में   रह सकते हैं मगर कोई परिवर्तन नहीं कर सकते  आगे की दीवार बढ़ा नहीं सकते  ओर पीछे की बालकनी में गमले नहीं लगा सकते  हमारे लिए अब अपना कहने के लिए कोई जगह नहीं छुट्टियों में गईं पहुंचने पर अक्सर  जाने पहचाने लोग अब भूलने से लगे हैं या बचपन में साथ खेले चचेरे भाई ओर बहन भी  हमारी तरह कहीं दूर जा बसे हैं काका काकी ओर पड़ोस वाली भाभियां अब बूढ़े हो चले हैं उनके बढ़ते चश्मे ओर मंद पड़ती यादाश्त में ऐसा कोई चेहरा नहीं बचा जो दस साल बाद हम उन्हें याद आ जाएं शहर के मकान पर अपना नाम  लिखवा लेने के बाद भी हम वहीं हैं अच्छा वो बिहारी फैमिली हमारे आधार कार्ड ओर वोटर आईडी भी बदल चुके हैं अब पीछे जाने का कोई रास्ता हमने छोड...