बेचारे लड़के क्या करें
लडके अब नहीं चाहते
मा बाप के साथ रहते हुए पढ़ाई करना
बाल बनकर शेविंग करके कॉलेज जाना
एक शहर में रहकर नौकरी करना
मां की कल्पना के अनुसार एक आदर्श बहू ढूंढना
वो चाहते हैं
साथ पढ़ी लिखी मॉडर्न प्रोग्रेसिव स्त्री
जो उनके साथ कदम से कदम मिला कर चल सके
ऑफिस, क्लब ओर सड़क पर
मगर घर जाने पर घूंघट में मां के पांव छू सके
दादी काकी नानी के आशीर्वाद लेने
ओर दिल जीतने में माहिर हो
जरूरत आने पर दस लोगों का भोजन बनाने में
उसके चेहरे पे शिकन न आए
मगर बच्चों को पैदा करने सम्हालने ओर स्कूल भेजने में जिम्मेदारी शेयर करने न कहे
दोहरी जिम्मेदारियां उठाने का अहसान न जताए
क्योंकि नौकरी करना उसका शौक है
और बाकी सामाजिक जिम्मेदारियां अनिवार्य
लड़की अपने पति की दी हुई स्वतंत्रता का आभारी रहे
कि उसने मातृत्व ओर गृह मंत्रालय के साथ अर्थव्यवस्था में भी उसे शामिल होने की स्वतंत्रता दी है
बस लड़के समझ नहीं पाते
ये पढ़ी लिखी लड़कियां
इतना कुछ पाकर भी खुश क्यों नहीं हैं
पितृसत्ता के साए में पले बढ़े दुलारे लड़के
ये समझ नहीं पाते कि लड़कियां
अपना आसमान अलग क्यों ढूंढ रहीं
अपनी स्वतंत्रता खुद क्यों परिभाषित करना चाह रहीं
बेचारे लड़के करें भी तो क्या करें
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