इक्कीसवीं सदी के दुर्लभ वादे
मुझे वो कुछ अलग सा लगा मगर ये झूठ था
उसकी बातों में कुछ नया सा था मगर ये भी झूठ था
तमाम बातों के बीच उसकी आंखों का नाम होना झूठा था
वो गहराइयां वो वादों की फेहरिस्त ओर आखिरी मुकाम होने की ख्वाहिशें ये मंजर नया था मगर झूठा ही था
फिर भी सच था वो वक्त.... जिसको जिया गया
सैकड़ों मील की दूरियों में
स्क्रीन पर उड़ती परछाइयों ओर तैरते शब्दों के बीच
सब नया था उस वक्त मगर ओर ये भी एक नायाब बात है
इनकी अहमियत सिर्फ मिलेनियल बता पाएंगे
वे 90 का प्यार ढूंढते 21वीं सदी की क्रूरता में भटकते लोग
तुम क्या जानो 21वीं सदी में ये वादे भी बहुत दुर्लभ होते हैं
क्योंकि जेन ज़ी से प्यार वफ़ा वादे जैसे खुशनुमा छलावे भी ऐ आई ने छीन लिए हैं
उनके पास हैं चैट जीपीटी के रेडीमेड उत्तर
जिनमें जज़्बात नहीं मशीनी बात होती हैं सिर्फ
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