एक मजाक किया खुद से


फिर से शब्दों को खुदा समझ कर
एक मजाक किया खुद से
तुमको कैद किया घेरे में जज्बातों के
और समझ बैठे उस घेरे को अपनी मंजिल


तुम्हारे लिए तय था सब कुछ
हर परिभाषा से परे होता है प्रेम
हमने मजाक किया खुद से
एक नयी परिभाषा बना कर

फिर से जीने लगे हम तो
तुमको आइना बनाकर
सपने पिरोये अपने तुमको माला बना कर

तुम्हारे लिए स्पष्ट था
 रिश्तों का "टाइम बाउंड' होना
हमने मजाक किया खुद से
साँसों की धुरी बना कर

तुम जीते रहे अनवरत
अपनी अनावृत असीमित आकान्छाओं को
हम सिमटते रहे इश्क की उलझनों में

खुल के सांस लेना खुल के जी लेना
पल भर को जीवन समझ लेना
और पल भर में अपने हिस्से का जी लेना
एक मजाक किया खुद से
पा कर किसी को खो देने और
पा कर किसी को खुद को खो कर

फर्क तो सिर्फ सोच का है
इल्म तुमको भी है इल्म हमको भी
जिद नहीं कोई बस बंधे हैं हम
इश्क रास्ता है तुम्हारा
और मंजिल मेरी
एक मजाक किया खुद से बस
तूफ़ान को नाखुदा समझ कर
१५.७.२०१९


Comments

Anonymous said…
bahut achha likhti hn aap, shayad dil se likhti hn.

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