Jul 15, 2019

एक मजाक किया खुद से


फिर से शब्दों को खुदा समझ कर
एक मजाक किया खुद से
तुमको कैद किया घेरे में जज्बातों के
और समझ बैठे उस घेरे को अपनी मंजिल


तुम्हारे लिए तय था सब कुछ
हर परिभाषा से परे होता है प्रेम
हमने मजाक किया खुद से
एक नयी परिभाषा बना कर

फिर से जीने लगे हम तो
तुमको आइना बनाकर
सपने पिरोये अपने तुमको माला बना कर

तुम्हारे लिए स्पष्ट था
 रिश्तों का "टाइम बाउंड' होना
हमने मजाक किया खुद से
साँसों की धुरी बना कर

तुम जीते रहे अनवरत
अपनी अनावृत असीमित आकान्छाओं को
हम सिमटते रहे इश्क की उलझनों में

खुल के सांस लेना खुल के जी लेना
पल भर को जीवन समझ लेना
और पल भर में अपने हिस्से का जी लेना
एक मजाक किया खुद से
पा कर किसी को खो देने और
पा कर किसी को खुद को खो कर

फर्क तो सिर्फ सोच का है
इल्म तुमको भी है इल्म हमको भी
जिद नहीं कोई बस बंधे हैं हम
इश्क रास्ता है तुम्हारा
और मंजिल मेरी
एक मजाक किया खुद से बस
तूफ़ान को नाखुदा समझ कर
१५.७.२०१९


1 comment:

Anonymous said...

bahut achha likhti hn aap, shayad dil se likhti hn.