Posts

Showing posts from April, 2023

बीच के खाली पन्ने

बीच के खाली पन्ने  बहुत से जो खाली रह गए हैं इस डायरी के उन्हे तुम खुद भर लेना उनका खालीपन हाथ की ओट से ढक देना या कुछ ऐसा कर देना  कि बिना लिखे ही उनके कुछ मायने हो जाएं या उनके रीतेपन में ही कुछ ढूंढ लेना तुम जिंदगी में भी तो बहुत बार ऐसा होता है खाली कागज का खालीपन  कभी कभी अचानक बोलने लगता है  और होठों की खामोशी  आंखों से तूफान बरसाने लगती है 

सौगात

वे आए मेरे पास फूलों की सौगात लेकर ये उनकी आदत है । मुस्कराते हैं वो  मुस्कराहट देते हुए  ये उनकी आदत है। वो जो फूल सजा जाते हैं  उनके नीचे हम कांटे छुपा देते हैं ये हमारी आदत है । हम कांटो सा चुभ जाते हैं कसक कर उनको भी रुला जाते हैं ये हमारी आदत है।

ओस की बूंद

मैं रो रही थी वह आया  सामने खड़ा हो गया मैं नजर उठाए  एक और बूंद गिरी होगी शायद मुस्कराने से पहले उसने देखा और ओस की बूंद के साथ गायब हो गया
इतना प्यार मत देना कि दिल सम्हाल न पाए  खिलती कलियों को गम का एक झोंका उजाड़ न बना जाए  और बारिश की हर बूंद छलक कर  तुम्हारी तस्वीर न बन जाए

It's for you naughty

When you feel too sad Hey look at me how boring you are When you feel you are about to cry Uff you nose is running ha ha When you feel you are alone Pretend we were playing I SPY When you feel you have someone around you Stupid, that's not me rather a street cow behind your ass ha ha Now I guess you are too angry Come on boy cheer up as You look like a...ha ha.. can't say the next word ha ha because you look like ha ha (wrote when i was in class 10)

स्याह जिन्दगी

 कुछ दिन थे बाकी जिन्दगी के  आधे अधूरे सपनों की छांह समेटे  कुछ धुल थी उम्मीदों की  वक्त की मेज पर हौले हौले जमी सी  टूटे बिखरे कांच से  बिखरते सपनो के टुकड़ों से  अब स्याह हो गई है जिन्दगी स्याह हो गई है  हर कहानी  राख हो गए हैं अधूरे सपनेऔर कांच के टुकड़े साँसों की किरकिरी बन गए हैं 

जब तुम नहीं होते हो

 काली काली परछाइयों के बीच  मई बिलकुल अकेली हो जाती हूँ  भय के भयानक पंजे मुझे दबोचने लगते हैं  सच और झूठ का फरेब आग उगलता है  इन सबके बीच डरती कांपती मैं  ......सब कुछ एक दुह्स्वप्न की तरह.  तुम......,  तुम कहाँ होते हो प्रिय  तुम्हारी याद एक सिहरन बनकर उभरती है  और तुम्हारा न होना...विषदंश !!! मेरे अकेलेपन में हर तीस कि वजह तुम होते हो  क्युकि तुम वहां नहीं होते हो ! दीवार पर फैलते बिगड़ते पंजे  यादो की सिहरन और वो भयानक आग  मुझे दबोचने लगते हैं कि अचानक खुल जाती है आँखे टूट जाता है कुछ देर के लिए ही सही  तुम्हारे पास होकर भी तुम्हे खो देने का भय  पलट कर देखती हू तुम्हे छूकर  हर त्रास को झूठ समझ कर फिर सो जाने की कोशिश करते हुए 

बस चलते जाना है

 बहुत मुश्किल है खुद से प्यार करना  जब दिल यूँ बेखुदी में डूबा हो  अश्कों से पूछती हूँ ख़ुशी कि महफ़िल कहाँ है  मै उस कश्ती का नाखुदा हूँ  जिसका कोई साहिल नहीं  उम्र बस इक प्यास है लाख पीने से नहीं बुझती  कदमो को बस चलते जाना है  चाहे कोई मंजिल नहीं यूँ ही पूछ लेती हूँ हर मुसाफिर से  जरा सा साथ चल लें  अब  कोई हमसफ़र गाफिल नहीं  

कारवां

 ये सच है कि मैं वो कारवां बन गई हूँ  जिसका कोई मुकाम नहीं  पर हर एक दास्ताँ कई जिंदगियों का जीना है  बस अफ़सोस हर पन्ने को पलटते हुए  मेरी दास्ताँ में हमदम तुम्हारा कहीं नाम नहीं  अपने अश्क, हसरते और हकीकत भी  मैंने जी ली तुम्हारे वास्ते  और तुम्हारा ये कहना  कि इन सब बातों का कोई अंजाम नहीं ......

दिल दिमाग़ और दर्द

दिल चाहता है गाना तो सुना ही होगा आपने? खासकर जब आप अपने प्रोफाइल पर 80s and 90s किड लिखते हैं और सोचते हैं सामने वाला इस बात से आपको खास तवज्जो देगा। प्रोफाइल से मतलब मेरा सोशल मीडिया से है क्योंकि आजकल लोग इंप्रेशन जमाने के लिए न तो शोले के वीरू की तरह पानी की टंकी पर चढ़ के चिल्लाते हैं और न इश्क में मर मिटने की तमन्ना लिए अनारकली की तरह दीवार में चिनने जाते हैं। सोशल मीडिया तो क्रांति ले आई इस इंप्रेशन वाले मामले में। इतना आसान है __ दो चार फोटोशॉप किए हुए फोटो लगा दो, अच्छी अच्छी बातें लिख दो, और नही आता तो किसी अच्छे लेखक या शायर की दो चार पंक्तियां उधार में डाल दो। बस हो गई एक नंबर की प्रोफाइल तैयार। उधार भी क्यों भाई साहब कहिए कि हमने ही लिखी है। सामने वाला या वाली भी लाइब्रेरी में बैठ कर बाल तो सफेद कर नहीं रहे की उन्हें पता भी हो कि जो अल्फाज पढ़ कर वो फिदा हुए जा रहे वो शेक्सपियर और रूमी के डायलॉग हैं। और पता भी चल जाए तो आप ये कह सकते हैं हमारा टेस्ट बहुत अच्छा है। इसको बोलते हैं हर्रे लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा हो जाए !     लेकिन इस हर्रे और फिटकरी के चक्कर ...